रामा तेरे देश मैं.....
रामा तेरे देश मैं
ये कैसा अंधेर है
शरीफों का दम घुटता यहाँ
बदमाशों का शोर है
जहरीले हैं लोग यहाँ
जहर फैलता चहुँ ओर है
भ्रष्टाचार मिटता नहीं
यहाँ हर कोई चोर है
रामा तेरे देश मैं
ये कैसा अंधेर है
शरीफों का दम घुटता यहाँ
बदमाशों का शोर है
बीमारियां फैली यहाँ
न कोई इलाज इनका
न कोई तोड़ है
इक उम्मीद की किरण
क्या रोशन करेगी
अँधेरा घनघोर है
रामा तेरे देश मैं
ये कैसा अंधेर है
शरीफों का दम घुटता यहाँ
बदमाशों का शोर है
सच्चाई का दम घुटे
है झूठों का दबदबा
अच्छाई का जमाना
अब रहा कहाँ
बुराइयों का दौर है
रामा तेरे देश मैं
ये कैसा अंधेर है
शरीफों का दम घुटता यहाँ
बदमाशों का शोर है
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